बुधवार, 24 अप्रैल 2019

मोदी फिर दोबारा

अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये,
गिरगिट जोकर बुआ बबुवा   दीदी  पी.डी  चारा खउआ   | 
बिकट बिरोधी सत्ता भोगी      सबको सूझा  यही उपाय ,
क्यों न हम सब खिचड़ी पकाय  मिल जुल कर सब उसे हराये ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

देश हित को ठेंगा दिखाय     मख्खी सा सब झुण्ड बनाय ,
अपनी अपनी गंदगी लेके     एक जगह सब दिए मिलाय  |
दलदल कीचड़ गटर गिलावा   कुछ भी कह लो इसको भाई ,
धुर्र बिरोधी संग में आये        बेशर्मी  सा  हसे  हसाय   ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

सबको डर बस यही सताय    बाप बिरासत छीन न जाये,
बाप ने लूटा दादा लूटे           वो भी चाहे लूट मचाए |
हमरा राज्य हमरी अमानत   कही ये डेरा छिन  न जाये,
बाप बिरासत समझे सत्ता    लूट पाट  सब मिलजुल खाये  ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

चूस गरीबन महल बनाये        बन दीमक ये देश को खाये,
देश का हित ये कबका भूले   अपने हित  को संग में आये |
टैक्स खा गए पूरा पूरा            धंधा इनका हर दिन फूला ,
अब ये पइसा खा नहीं पा रये  मोदी सबको मुँह फुलवाय
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये      मोदी फिर से आ ना  जाये

एक मंच ये साझा कर रये     सांप  नेवले कौवे बगुले,
सांप  नेवले गले मिल रहे      मोदी पर सब कीचड़ मल रहे  |
देखो मोदी भारत को लल्ला  इन सब पर वो भारी  पड़ रये  ,
जनता भी ये समझे जाने       सब दल बदलू प्राण पटक रये  ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

रचित --अमित कुमार गुप्ता





















बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

मैं प्यार बाटने आया हूँ

मैं प्यार बाटने आया हूँ , दुःख दर्द मिटाने आया हूँ
सूने  तरसे रोते चहरे को , हसी बाटने आया हूँ
ज्यादा की नहीं ख्वाहिश मुझको , बस साथ तुम्हारा चाहा है
मैं प्यार की नगरी से तुमको, बस तुम्हे लौटने आया हूँ
मैं प्यार बाटने आया हूँ --२

ज्यादा नहीं थोड़ा सा  सही , कोशिश कर थोड़ा है तो सही
तेरे जो जख्म है बिसरा दे,  बीज प्यार के बो तो सही
आशू  को थोड़ा थमने दे,  ध्यान ज़रा सा मुझपर दे
मैं प्यार की नगरी से देखो, बस तुम्हे हँसाने आया हूँ
मैं प्यार बाटने आया हूँ --२

हाथों में जरा सा हाथ तो दे , आँखों को आँखों से  मिलने दे
कुछ पल हीं सही विश्वाश तो कर , एहसास  से कह थोड़ा तो ठहर
एक मर्म भरा एहसास ये मै , तुझको ही देने आया हूँ
प्रणय देव से तेरे लिए फिर, प्रणय  मांग कर आया हूँ

मैं प्यार बाटने आया हूँ --२


शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

भारत माता की शान

भारत माता की शान है संघ   भारत माँ का अभिमान है संघ
भारत माँ के चरणों में तो   संघ का जीवन है अर्पण 
वीरो की ललकार है संघ      जिससे दुश्मन थर्राता  है
केवल पद संचलन मात्र से   दुश्मन काँपा सा जाता है

संघ निनाद जय भारत माता    जब जोरो से हो जाता है
धरती अम्बर गुंजायमान      दुश्मन कम्पित सा लगता है
जब संघ संचलन करता है      गुब्बार धूल का उठता है
चंद समय के लिए सही         वो सूरज को ढक लेता है

जब वन्दे मातरम  कहता है संघ     भारत माँ पुलकित हो जाती है
हर स्वमसेवक  का अपने हाथ से    विजय तिलक वो करती है
अब बज जो गया है युद्ध शंख          माँ तुमसे विदाई चाहेंगे
तेरी रक्षा की खातिर तो                हम अपना शीश चढ़ा देंगे

फिर संघ बढ़ा दुश्मन की तरफ   दुश्मन में हाहाकार मचे
दुश्मन को वो चीरे फ़ाड़े            और सिंघो जैसा गर्ज करे
हमने काटे है धड़ से सर           मुण्डो को रुण्डो से अलग किया
शस्त्र विहीन होकर भी हमने    शेरों जैसा युद्ध किया 

जब अंत समय आता है तो       हम हाथ जोड़ मुस्काते है
जिस्मो से बहती रक्त धार       पर फूले नहीं समाते है
हे  धरती माँ गर खुश है तो       वरदान एक ही चाहेंगे
मरकर फिर से गर जन्मु तो     भारत ही जननी चाहेंगे 

रचित -- अमित कुमार गुप्ता