शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

भारत माता की शान

भारत माता की शान है संघ   भारत माँ का अभिमान है संघ
भारत माँ के चरणों में तो   संघ का जीवन है अर्पण 
वीरो की ललकार है संघ      जिससे दुश्मन थर्राता  है
केवल पद संचलन मात्र से   दुश्मन काँपा सा जाता है

संघ निनाद जय भारत माता    जब जोरो से हो जाता है
धरती अम्बर गुंजायमान      दुश्मन कम्पित सा लगता है
जब संघ संचलन करता है      गुब्बार धूल का उठता है
चंद समय के लिए सही         वो सूरज को ढक लेता है

जब वन्दे मातरम  कहता है संघ     भारत माँ पुलकित हो जाती है
हर स्वमसेवक  का अपने हाथ से    विजय तिलक वो करती है
अब बज जो गया है युद्ध शंख          माँ तुमसे विदाई चाहेंगे
तेरी रक्षा की खातिर तो                हम अपना शीश चढ़ा देंगे

फिर संघ बढ़ा दुश्मन की तरफ   दुश्मन में हाहाकार मचे
दुश्मन को वो चीरे फ़ाड़े            और सिंघो जैसा गर्ज करे
हमने काटे है धड़ से सर           मुण्डो को रुण्डो से अलग किया
शस्त्र विहीन होकर भी हमने    शेरों जैसा युद्ध किया 

जब अंत समय आता है तो       हम हाथ जोड़ मुस्काते है
जिस्मो से बहती रक्त धार       पर फूले नहीं समाते है
हे  धरती माँ गर खुश है तो       वरदान एक ही चाहेंगे
मरकर फिर से गर जन्मु तो     भारत ही जननी चाहेंगे 

रचित -- अमित कुमार गुप्ता







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