शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

गलवान के बलवान

हमने सोचा वो मुल्क पड़ोसी,  बस अपने में ही रह जाएगा | 
हम  जैसे  है   शान्ति    प्रिय ,  वो भी  शांति  ही  चाहेगा  | | 
मगर  हमारी  भूल  थी  जो   , सांप पर हम विस्वास किए
और देखो चीनी रेंग रेंग कर , बढ़े  सतत  फुंकार  करे  | | 
मगर   वो  बैरी  भूल   गया,  हम  हिन्दुस्तानी  वीरो को
जिसके वंशज बचपन में ही,  गिनते थे सिंही दांतो को
जब कर्नल (संतोष बाबू)को मिली खबर थी ,चीनी ने बंकर बना लिए
आग  बबूला हुए तभी  सब ,  आंखो  में  अंगार  जगे
सभी  सिंह थे आगे बढ़ गए, क्षण  भर  ना  बरबाद  किए
घात में थे सब चीनी सैनिक , हाथो  में  हथियार  लिए
छला  इन्होंने  हमे  तभी और, चौतरफा  ही वार  किए
जख्मी सैनिक संभले खुद से, और वो जख्मी शेर हुए
भोलेनाथ का स्वर गूंजा और ,काल वो बनके टूट पड़े
भोलेनाथ का डमरू बजा और,नटराजन तांडव करने लगे
गलवान में था महाकाल काल भी,महाकाल से थरथर कपे
वीरो ने  हमारे  गर्दन  तोड़ी,  हाथो  में  समाया बज्र  स्वता:
आंखे  फोड़ी  हड्डी  तोड़ी  , कुछ को  घाटी में  फेक दिया
कुछ वीरो का अदभुत साहस ,गलवान के वो सब शेर हुए
यह  दृश्य  बड़ा  ही  गर्वमयी,नस  नस  में  बल  संचार  करे
भारत  माता  का  एक  वीर, दस दस चीनी पर भरी पड़ा
खून से लथपथ प्राण गंवाकर, उनको घाटी से फेंक दिया
और जाते शहीद की अंतिम इच्छा,
है मातृभूमि अब तुम मेरा,अंतिम प्रणाम स्वीकार करो
मेरा सिर अपनी गोद में रखकर,मेरा ये विनय स्वीकार करो
मुझको तुम आशीष ये दो ,अगर  दुबारा  जन्मु  तो 
सदा  मै  तेरा  पुत्र  बनू , और  तुम्हीं  मेरी माता हो


 by -- अमित कुमार गुप्ता

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

मोदी फिर दोबारा

अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये,
गिरगिट जोकर बुआ बबुवा   दीदी  पी.डी  चारा खउआ   | 
बिकट बिरोधी सत्ता भोगी      सबको सूझा  यही उपाय ,
क्यों न हम सब खिचड़ी पकाय  मिल जुल कर सब उसे हराये ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

देश हित को ठेंगा दिखाय     मख्खी सा सब झुण्ड बनाय ,
अपनी अपनी गंदगी लेके     एक जगह सब दिए मिलाय  |
दलदल कीचड़ गटर गिलावा   कुछ भी कह लो इसको भाई ,
धुर्र बिरोधी संग में आये        बेशर्मी  सा  हसे  हसाय   ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

सबको डर बस यही सताय    बाप बिरासत छीन न जाये,
बाप ने लूटा दादा लूटे           वो भी चाहे लूट मचाए |
हमरा राज्य हमरी अमानत   कही ये डेरा छिन  न जाये,
बाप बिरासत समझे सत्ता    लूट पाट  सब मिलजुल खाये  ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

चूस गरीबन महल बनाये        बन दीमक ये देश को खाये,
देश का हित ये कबका भूले   अपने हित  को संग में आये |
टैक्स खा गए पूरा पूरा            धंधा इनका हर दिन फूला ,
अब ये पइसा खा नहीं पा रये  मोदी सबको मुँह फुलवाय
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये      मोदी फिर से आ ना  जाये

एक मंच ये साझा कर रये     सांप  नेवले कौवे बगुले,
सांप  नेवले गले मिल रहे      मोदी पर सब कीचड़ मल रहे  |
देखो मोदी भारत को लल्ला  इन सब पर वो भारी  पड़ रये  ,
जनता भी ये समझे जाने       सब दल बदलू प्राण पटक रये  ||
अब हर भ्रष्टाचारी घबराये     मोदी फिर से आ ना  जाये

रचित --अमित कुमार गुप्ता





















बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

मैं प्यार बाटने आया हूँ

मैं प्यार बाटने आया हूँ , दुःख दर्द मिटाने आया हूँ
सूने  तरसे रोते चहरे को , हसी बाटने आया हूँ
ज्यादा की नहीं ख्वाहिश मुझको , बस साथ तुम्हारा चाहा है
मैं प्यार की नगरी से तुमको, बस तुम्हे लौटने आया हूँ
मैं प्यार बाटने आया हूँ --२

ज्यादा नहीं थोड़ा सा  सही , कोशिश कर थोड़ा है तो सही
तेरे जो जख्म है बिसरा दे,  बीज प्यार के बो तो सही
आशू  को थोड़ा थमने दे,  ध्यान ज़रा सा मुझपर दे
मैं प्यार की नगरी से देखो, बस तुम्हे हँसाने आया हूँ
मैं प्यार बाटने आया हूँ --२

हाथों में जरा सा हाथ तो दे , आँखों को आँखों से  मिलने दे
कुछ पल हीं सही विश्वाश तो कर , एहसास  से कह थोड़ा तो ठहर
एक मर्म भरा एहसास ये मै , तुझको ही देने आया हूँ
प्रणय देव से तेरे लिए फिर, प्रणय  मांग कर आया हूँ

मैं प्यार बाटने आया हूँ --२


शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

भारत माता की शान

भारत माता की शान है संघ   भारत माँ का अभिमान है संघ
भारत माँ के चरणों में तो   संघ का जीवन है अर्पण 
वीरो की ललकार है संघ      जिससे दुश्मन थर्राता  है
केवल पद संचलन मात्र से   दुश्मन काँपा सा जाता है

संघ निनाद जय भारत माता    जब जोरो से हो जाता है
धरती अम्बर गुंजायमान      दुश्मन कम्पित सा लगता है
जब संघ संचलन करता है      गुब्बार धूल का उठता है
चंद समय के लिए सही         वो सूरज को ढक लेता है

जब वन्दे मातरम  कहता है संघ     भारत माँ पुलकित हो जाती है
हर स्वमसेवक  का अपने हाथ से    विजय तिलक वो करती है
अब बज जो गया है युद्ध शंख          माँ तुमसे विदाई चाहेंगे
तेरी रक्षा की खातिर तो                हम अपना शीश चढ़ा देंगे

फिर संघ बढ़ा दुश्मन की तरफ   दुश्मन में हाहाकार मचे
दुश्मन को वो चीरे फ़ाड़े            और सिंघो जैसा गर्ज करे
हमने काटे है धड़ से सर           मुण्डो को रुण्डो से अलग किया
शस्त्र विहीन होकर भी हमने    शेरों जैसा युद्ध किया 

जब अंत समय आता है तो       हम हाथ जोड़ मुस्काते है
जिस्मो से बहती रक्त धार       पर फूले नहीं समाते है
हे  धरती माँ गर खुश है तो       वरदान एक ही चाहेंगे
मरकर फिर से गर जन्मु तो     भारत ही जननी चाहेंगे 

रचित -- अमित कुमार गुप्ता







शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

"Old यार Gold यार"

एक दो तीन चार सब मिल बैठे old यार
महफ़िल जमेगी आज गप-शप होगी सारी रात
टांग खिचाई सारी रात तेरी मेरी उसकी बात

old यार हा हा Old  यार-Gold  यार हा हा Gold  यार

पैग बना बे harder सब को कर दे bolder
धीरे धीरे पीना यार जल्दी में न चढ़ती धार
सांस रोककर मुँह से खींच पैग-द-विस्की स्वीट स्वीट
हार्ड पैग को हल्लू हल्लू जो भी ऐसे लेता
बाहुबली भी हो जाता है उस चंगु का चेला

old यार हा हा Old  यार-Gold  यार हा हा Gold  यार

रचित -अमित कुमार गुप्ता



 

रविवार, 15 जनवरी 2017

रंग दे बसंती चोला

आओ ले चलता  हूँ  तुमको   युद्ध  के     मैदान  में
सर जहा  कटते  है  हँसकर   भारती   की  शान  में
देखो अपनी भारती  को       आ गया दुश्मन यहाँ
पाक  कि  नापाक  हरकत    फिर से ये करने चला

जख्म  देने आ गए  है       कष्ट मै  है भारती
आ भी जाओ मेरे बच्चो   करुण स्वर से पुकारती
गरज उठे सिंह लाखो      दहल उट्ठा आसमाँ
खून में शैलाब था और    ख्वाब सारे  थे धुँवा

और फिर शोले धधकने    उनकी आँखों में लगे
रोके से रुकते नहीं वो     रक्त के प्यासे हुवे
गोलियों की धार और     बौछार में वो चल पड़े
प्राण थालो में सजा कर    माँ से वो कहने लगे

जब से जन्मा हूं में माता   क़र्ज़ तेरे है बड़े
गोद में खेला हूं तेरी   माटिया मुँह में लिये
मैने फल चक्खे  हज़ारो   है जो तेरी ओट  में
तेरे उपकारों कि  माला   लेके हम फूले फले
आज हो तुम कष्ट में तो  कैसे हम पीछे हटे
तेरी माटी से ही जन्मे   सिंघ सारे मनचले


और मस्तानो की टोली    एक ओर सहसा बढ़ चली
दुश्मनो के हलक सूखे   रूह भी कपने लगी
वीर वो लेने लगे   सीने पर हँसकर गोलिया
और  विध्वंशक हो गए   जब रक्त उनसे फट पड़ा

हे शिवाय हे नामः ह  अब तो तांडव कर चलो
हे  माँ काली हे माँ अंबे  दुश्मनो के शीष लो
उठ गई है आँख उनकी    फोड़  कर मानेगे हम
कदम उनके जो बढे है    तोड़ कर मानेगे हम
फाड़ देगे उनकी छाती   ख़ून को  पी लेगे हम
दुश्मनो के मुंड से आज तो खेलेगे हम


चंडी सा फिर दुश्मनो के शीष  वो लेने लगे
10 -10 कि संख्या में सही  100-100 वो भिड़ने लगे
देख उनको इस दशा मै काल भी डरने लगे
यम कि मुट्ठी से फिसल कर वीर वो लड़ने लगे

ख़ून से लथपथ थे सारे  फिर भी वो लड़ते रहे
अपने प्राणो को सुमन सा भेंट  वो करते रहे
मलिन न पड़ जाये वस्त्र माँ भारती के इसलिए
अपने खू से माँ का वो आँचल सभी रंगते रहे

आखरी की दो पंक्तिया मेने उन पालो से चुराई है जब हमारा जवान  शहीद होने ही वाला होता है,उसकी आखरी साँसे चल रही है और वो मुस्कुराता है ,उसकी मुस्कराहट को मैने शब्द देने की कोशिश  की है--

जाते - जाते हर शहीद का मैने दिल था टटोला -2
हँसते  हुवे वो बोल रहा था मेरा रंग दे बसंती चोला

by --अमित कुमार गुप्ता



रविवार, 25 अक्तूबर 2015

ॐ गंग गणपताभ्यम (rap song)

ॐ शिवम्  शिवम्  गणपताभ्यम    ॐ शिवम्  शिवम्  गणपताभ्यम
well  begin is half done दुनिया का है slogan
किसी काम की नई शुरुवात और हम सब करते सुमिरन
है  कोई   work  उसमे आती     every   time    अर्चन
विघ्नविनाशक मंगल मूर्ति देते तब solution
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम  

गज का शीष वस्त्र पीताम्बर पंच मुखी परमेस्वर
tummy जिनकी very long  और मोदक जिनके प्रियतम
मूषक इनकी naughty  सवारी हर दम करतीं ऊधम
इसपर ही तो शिव गौरी के चक्कर किये ख़तम
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम  

अपने बाप्पा  ही  पहले पुजे खुसियो से झोली full  fill  करे
bappa हमको बातादो वो way जिसमे चलके मिलती है ray 

आँखों में अश्रु कि धारा  दिल में कोई भरम
हम पाप पुण्य में गोते लगाते दुनिया भर के शितम
हमें भी दो सद मार्गः महा प्रभु मनमय विघ्नेस्वरम
tell me tha way bappa whr is the ray
कृपा कि दृष्टि once look at to me और अर्चन सारी ख़तम
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम

अन्तवगत्वा  वो आई घडी प्रभू की दृष्टि हम पर पड़ी
//उनको देखा है कइयों झलक फिर भी मन में है बाकि ललक
उनको देखा है कइयों झलक wana once more look at thr
नजरो से उनकी नज़रे मिली छवि दिल में उतरती गई
मेरा कण -2  है पुलकित हुवा भक्ति में हूँ में डूबा हुआ
मेरा कण -2  है पुलकित हुवा i m  near 2 u deva
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम

किरपा की दृष्टी हम पर पड़ी शनि मंगल अमंगल नहीं
घरती पे स्वर्ग हमको मिले हमें मोक्ष्य की चिंता नहीं
तेरे चिंतन में डूबे है हम गोरीसुत  तुमको सबकुछ नमन
मन को पढ़ने वाले हो तुम मांगे भी तुमसे क्या दाता हम
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम

By --Amit Kumar Gupta 

मंगलवार, 26 मई 2015

Rap Song "बस इन्नी सी "

आज आया फिर week end मेरा दिल बोतल का fan
D.J Night भी है आज मस्ती में झूमेंगे साथ
peg पे peg  लगेंगे यारा time है बस 9 से 12
इतने में सब खेल दिखा लो चक्कर- वक्कर सभी चला लो
लफड़ा हो कोई पीने से ,कोई पूछे कित्ती पी तेने
ऊँगली दिखा के peg बना के बस कह देने इन्नी सी -2
फिर पूछे की किन्नी पी ,बस इन्नी सी -2

बजते ही 12 pub shuter डाउन, मैने कहा owner से इस that गाओं
वो भी बोला देखिये सर हमें है फिकर मगर हमको ठुल्ले करे इधर उधर
मैने कहा owner से करो shuter up मै भी देखू ठुल्लो को कि  कितनी अकड़
owner बोला मुझसे की किन्नी पी  है सर
ऊँगली दिखा के peg बना के बस इन्नी सी -2

लौट रहा था संग यारो के कार में घुस के घर
ठुल्ले मिल गए रोक ली गाड़ी ,साइड जरा कर
बारी -2 उतर रहे थे मस्ती गई खिसक
जेब थी खाली सर भी भारी और भी थे कई डर
मुँह सूंघा एक पुलिस ने सबका कुछ न बोला पर
बारी मेरी, सूँघा उसने चढ़ गई बोतल भर
मस्ती में वो झूम रहा था पल पल मुझसे पूछ रहा था किन्नी पी है -2
ऊँगली दिखा के peg बना के में भी बोला बस इन्नी सी -2

by --Amit Kumar Gupta