गुरुवार, 12 अगस्त 2010

युवा


हे युवक आजाद हो तुम     --   किस कदर ये जिंदगी ;
भीड़ में अब तक खड़े हो    --   क्यों न फिर  पहचान दी !
हो जुनू और जोश तुममे     -- ख़त्म कर दो बंदिशे ;
जाग उट्ठो फिर पकड़ लो      --  देश की दुखती नसे !

देश की तकलीफे समझो    --   बोल वो सकता नहीं ;
घाव जिस्मो पर बने है       --  क्यों मरहम बनते नहीं !
हर जगह हर छेत्र पहुचे       --  लपते तुम्हारी आग की ;
हो सके तो ख़ाक  कर दो     --  भ्रष्ट सारे लालची!
अफसर बनो, नेता बनो तुम -- हर तरफ आगाज हो;
हो तिरंगा युवा हाथो           --  सशक्त भारत राष्ट्र हो !
आजाद भारत मिले हमको  --   इसका सहरा सजे हमको ; 
यही दुल्हन बने अपनी       --  तब हुए संघर्ष खूनी !
आजादी पाने वास्ते           --  बेसक बटे हम दलों में; 
नरम दल या गरम हो        --  आजादी ही मंजिल बने!
अंगारे हो नसों  में और       --    सासों में लपटे जो हो;
खून ना हो सोले हो तो        --    धधकने दो इन्हें आज!
है घना और बड़ा जंगल      --   भ्रस्ट्राचार नाम का ;
राख कर दो ख़ाक कर फिर --    नव उदय हो राष्ट्र  का!
जोश ए जस्बे हिम्मते      --    तो उठ गए फिर हाथ  है;
जोड़ने को प्यार  दे जो     --   तोड़े अमन ए दुश्मनों को!
हम युवा सब एक है       --     धर्म अंतर है नहीं ;
अलग ना करना हमें तुम    --   धर्म की दीवार से!
ना सहो ना दबो तब जब      --  बात मैदाने जंग की हो ;
हो  आह्वाहन कर सुदर्सन   --  तुम कृष्ण सा संहार दो! 



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