घुसपेठ हुई अब दुश्मनो की ---- जख्म देने की कला
छीनना खुशिया हमारी ---- इनका मकसद हो गया
अब तो सारी हदे तोड़ी ---- लाँघ कर इंसानियत
मासूमो को भी कत्ल करते ---- धर्म के ये नाम पर
अब तो जागो मात्र वीरो ----- इनको अब तो दो पछाड़
खेलो होली खून से और ----- रक्त रंजित कर विशाल ||
पीठ पर खंजर चला है ---- पाक की घटिया मिसाल
चीन भी इनका समर्थक ---- दोगला ; करता प्रहार
हिंदी चीनी भाई भाई ---- अब वो नारा ना रहा
चीनी को दिल से निकालो --- भाई वो प्यारा ना रहा
इनकी नज़रे उठ गई है ---- भारती के कांधो पर
अब तो तुम रुकना नहीं ---- फोड़ इनकी आंखे तक ||
काट दो हर अंग उसका ---- सरहदों को जो छुए
खौफ इतना भर दो इनमे --- भारती का नाम ले
जयकार भारत की करे ---- आँखों में दहशत दिखे
भीख मांगे मौत की और ---- हस के हम वो दे सके
दुश्मनो से जंग होगी ---- जोश मय होगा समां
सर कटाने मर कर बचाने -- जब बढ़ेगी टोलिया ||
आज लग जायेगा जमघट -- जंग के मैदान में
खून से लतपथ सिंघो को ---- देखना मैदान में
हिंद की सेना है ये ----- ललकारती आगे बढ़ी
घाव लगे; सिर भी कटे ---- फिर भी ये बढती जाएगी
गोलिया बोछार सी ---- बारूद भी दीपावली
खून निकले तो समझ लो -- खिल रही है होली ही ||
हिंद के वीरो को देखो ---- खून से लतपथ दिखे
जैसे कोख से सिंघनी की -- वो अभी जन्मे हुवे
आग भी भुझ जाती है जब--खून से स्पर्श हो
गोलियों की क्या मजाल ---- पाँव डगमग भी ना हो
सर कटे तो धड सही ---- बढ़ चले बिन सर के ही
दुश्मनो की मौत को तो ---- चाहिए बस हाथ ही ||
सर तो कर डाला समर्पित ---- भारती की रक्षा की
मस्तको पे धूल है ---- स्वीकार करती भारती
सहसा बादल गरज उट्ठे ---- भारती हुंकारती
दुश्मनो के दिल धड़क गए -- इस तरह वो गर्ज थी
एक मस्तक देखते ही ---- सैकड़ो की टोलिया
गर्वे से फिर फूल उठते ---- कहके ये तो सिंह था ||
और फिर शोले धधकने ---- उनकी आँखों में लगे
रोके भी रुकते नहीं ---- खून के प्यासे हुए
पवन भी लपटे बनी ---- दहकता है अब समां
दुश्मनो के खून से ---- तिलक को आतुर यहाँ
छू वा है जिन दुश्मनो ने -- भारती के जिस्म को
है सजा मर कर भी ये ---- पाने ना पाए कब्र को
मौत इनको इसकदर दो -- जन्म लेने से डरे
मिल भी जाये जन्म तो ये--वन्दे मातरम ; ही कहे
मिल भी जाये जन्म तो ये--वन्दे मातरम ; ही कहे ||||
by-Amit Kumar Gupta
by-Amit Kumar Gupta
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