गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

" महक"

महक उठा है यादो से      -----            मेरा तो पूरा तन मन ;
तेरी यादो की महक ने मुझको ------  कर डाला पूरा पावन |
तेरा ये चंचल सा मन   ---------------जैसे  हो कोई मधुवन ;
मधुवन को महकती तुम  ----------- जैसे  हो कोई  चन्दन ||


आखे तेरी मोहक है   --------------- उस पर तेरे तीखे नयन ;
हमको घायल कर जाती है ----   दे प्यार की मोहक यादो संग |
मुखड़ा तेरा चंदा जैसा  ---------  आकाश में हो तुम तारो संग ;
साथ जरा मेरा भी दो  ------------  महका दो मेरा जीवन  ||


आवाज़ से जैसे कोकिल हो  ------ स्वर करते शीतल गुंजन ;
अंतर्मन फिर महक सा जाता -------सुन प्यारी सी तेरी धुन |
चलती हो तुम जैसे भवर ------------ रस फूलो का लेके उड़े ;
बदले में परिवर्तन देती   -----------कली से उसको फूल करे ||
फूल तभी मुस्काता है  -------------महक को और लुटाता है ;
बागो में शोभित हो करके ----------गीत मिलन के गाता  है ||


याद है तेरा मुस्काना       ----- गम को भी मोहक कर जाना ;
कण-२ को पुलकित करती तुम-- हर कण को फिर महका जाना | 
पायल जब तेरी बजती है   ---------दीवाना हमको करती है ;
राहे कितनी भी मुस्किल हो ------- राहे अड़चन ना बनती है ||


अब तो है केवल ये आशा ------------- ऊपर वाले से ये माँगा ; 
महक को भी महका जाओ  ---- तुम मेरे जीवन में आ जाओ |
अंतर में मेरे बस जाओ --------आखो का काजल बन जाओ ;
मेरे दिल में अब तुम ही तुम-- मेरे दिल की धड़कन  बन जाओ ||
AMIT KUMAR GUPRA
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