महक उठा है यादो से ----- मेरा तो पूरा तन मन ;
तेरी यादो की महक ने मुझको ------ कर डाला पूरा पावन |
तेरा ये चंचल सा मन ---------------जैसे हो कोई मधुवन ;
मधुवन को महकती तुम ----------- जैसे हो कोई चन्दन ||
आखे तेरी मोहक है --------------- उस पर तेरे तीखे नयन ;
हमको घायल कर जाती है ---- दे प्यार की मोहक यादो संग |
मुखड़ा तेरा चंदा जैसा --------- आकाश में हो तुम तारो संग ;
साथ जरा मेरा भी दो ------------ महका दो मेरा जीवन ||
आवाज़ से जैसे कोकिल हो ------ स्वर करते शीतल गुंजन ;
अंतर्मन फिर महक सा जाता -------सुन प्यारी सी तेरी धुन |
चलती हो तुम जैसे भवर ------------ रस फूलो का लेके उड़े ;
बदले में परिवर्तन देती -----------कली से उसको फूल करे ||
फूल तभी मुस्काता है -------------महक को और लुटाता है ;
बागो में शोभित हो करके ----------गीत मिलन के गाता है ||
याद है तेरा मुस्काना ----- गम को भी मोहक कर जाना ;
कण-२ को पुलकित करती तुम-- हर कण को फिर महका जाना |
पायल जब तेरी बजती है ---------दीवाना हमको करती है ;
राहे कितनी भी मुस्किल हो ------- राहे अड़चन ना बनती है ||
अब तो है केवल ये आशा ------------- ऊपर वाले से ये माँगा ;
महक को भी महका जाओ ---- तुम मेरे जीवन में आ जाओ |
अंतर में मेरे बस जाओ --------आखो का काजल बन जाओ ;
मेरे दिल में अब तुम ही तुम-- मेरे दिल की धड़कन बन जाओ ||
AMIT KUMAR GUPRA
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