शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

Vaneet

बहुत ही सरल हो --- -- सहज भी तो हो आप
के चहरे  से होते ---- -- वया  सारे अंदाज़ 
चंचल सा मन  और ----चंचल किरण हो 
बच्चे की मासूम     -----सी एक किलक हो 

मुझे याद है  चंद  पल ----साथ  थे      जब 
यक़ीनन  ही बोली    -----बहुत कर्ण प्रिय  थी 
बाते  ह्रदय को        ------लगती थी प्यारी 
ज्यो  आसमा  ने  ------- बाहे  पसारी 

करता  हू  मै बात ------अंतर की अब तो 
जब भी मिला  मै ------हर दम ही  पाया 
चाहा के पुछू     -----    हर दम ही मै  ये 
कि कैसे  तपा के ---- कुंदन    बनाया 

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