रविवार, 27 फ़रवरी 2011

होली

                                                     होली 

होली  के  रंगों  ने  मिला  दिए  दिल        -- भर  दिया  दिलो में  प्यार  का अबीर ;
बच्चो  ने  सुबह से  ही  पकड़ी  पिचकारी -- अपनों को भिगो कर हसी हँसी प्यारी |
युवाओ की टोलिया भी निकल पड़ी सारी -- रंग और अबीर लिए गधे की सवारी ;
लडकियों  की टोलियों  ने खूब मौज मरी -- चहरे  पे गुलाल  मल  दूर-२  भागी ||

घर  का  माहोल  हुवा  जैसे  फुलवारी     --  घर  के  बड़ो  ने  भंग  पी  मारी ;
भंग   के   नसे   में   झूमते  है   सारे      -- हसते  लोट्ते  ठिठोलिया  मचाते |
हसने  में  लोटपोट  बात  कह  डाली      -- गुजिया चुरा के मैने सारी खा डाली ;
माँ  ने  अचार  खालो  जिद   कर  डाली -- हमने मिठाई  की मांग कर डाली ||

निकलती है टोलिया और घुटती  है  भंग -- ऐसा है हमारा मधुर होली का मिलन ;
होली का त्यौहार  याद  कान्हा त्रिपुरारी  -- गोपियों के संग महारास की तैयारी |
राधिका के संग खेले कान्हा होली प्यारी -- गोरे-गोरे गालो पे गुलाल मल डाली ;
राधिका का गोरा रंग  सवारिया  के संग -- राधिका छुडाये क्यों सवारिया का रंग ||

राधा गोरी  श्याम कारे खेले  होली  संग  -- छूटे से छुडाये नहीं  सावरे का रंग ; 
गोपियों के मन में भी कान्हा जी का रंग -- अतः सब देखती  है प्रेम में मगन |
कान्हा ने भी गोपियों के भाप लिए मन -- हर गोपी दिखने लगी सावरे के संग ;
कभी  राधा  बाहों  में  कभी   गोपी  संग -- कान्हा  पूरे  डूबे  है  गोपियों के रंग ||

अवध  की  धूल  भी  हुई  तब  धन्य     -- धूल  जब  पा  गई  पैरो  की  शरण ;|| 










1 टिप्पणी:

usman naik ने कहा…

wt sir..eng mai to diya hota