इस तस्वीर में तुम बहुत चंचल हो मगर,
क्यों छूवा है तुमको किरणों ने इस कदर |
हर अंग में उमंग की लहर सी दोड़ गई ,
अनायास तुम्हारे चहरे पर हसी बिखर गई |
के तुम मासूम हो इस द्रश्य में बहुत ,
तकलीफे तेरी हसी से हटती है खुदबखुद |
के तुम नायाब हो अपने आप में,
जैसे मोती बंद हो सीपी के साथ में |
by--Amit kumar gupta
क्यों छूवा है तुमको किरणों ने इस कदर |
हर अंग में उमंग की लहर सी दोड़ गई ,
अनायास तुम्हारे चहरे पर हसी बिखर गई |
के तुम मासूम हो इस द्रश्य में बहुत ,
तकलीफे तेरी हसी से हटती है खुदबखुद |
के तुम नायाब हो अपने आप में,
जैसे मोती बंद हो सीपी के साथ में |
by--Amit kumar gupta
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