रविवार, 15 जनवरी 2017

रंग दे बसंती चोला

आओ ले चलता  हूँ  तुमको   युद्ध  के     मैदान  में
सर जहा  कटते  है  हँसकर   भारती   की  शान  में
देखो अपनी भारती  को       आ गया दुश्मन यहाँ
पाक  कि  नापाक  हरकत    फिर से ये करने चला

जख्म  देने आ गए  है       कष्ट मै  है भारती
आ भी जाओ मेरे बच्चो   करुण स्वर से पुकारती
गरज उठे सिंह लाखो      दहल उट्ठा आसमाँ
खून में शैलाब था और    ख्वाब सारे  थे धुँवा

और फिर शोले धधकने    उनकी आँखों में लगे
रोके से रुकते नहीं वो     रक्त के प्यासे हुवे
गोलियों की धार और     बौछार में वो चल पड़े
प्राण थालो में सजा कर    माँ से वो कहने लगे

जब से जन्मा हूं में माता   क़र्ज़ तेरे है बड़े
गोद में खेला हूं तेरी   माटिया मुँह में लिये
मैने फल चक्खे  हज़ारो   है जो तेरी ओट  में
तेरे उपकारों कि  माला   लेके हम फूले फले
आज हो तुम कष्ट में तो  कैसे हम पीछे हटे
तेरी माटी से ही जन्मे   सिंघ सारे मनचले


और मस्तानो की टोली    एक ओर सहसा बढ़ चली
दुश्मनो के हलक सूखे   रूह भी कपने लगी
वीर वो लेने लगे   सीने पर हँसकर गोलिया
और  विध्वंशक हो गए   जब रक्त उनसे फट पड़ा

हे शिवाय हे नामः ह  अब तो तांडव कर चलो
हे  माँ काली हे माँ अंबे  दुश्मनो के शीष लो
उठ गई है आँख उनकी    फोड़  कर मानेगे हम
कदम उनके जो बढे है    तोड़ कर मानेगे हम
फाड़ देगे उनकी छाती   ख़ून को  पी लेगे हम
दुश्मनो के मुंड से आज तो खेलेगे हम


चंडी सा फिर दुश्मनो के शीष  वो लेने लगे
10 -10 कि संख्या में सही  100-100 वो भिड़ने लगे
देख उनको इस दशा मै काल भी डरने लगे
यम कि मुट्ठी से फिसल कर वीर वो लड़ने लगे

ख़ून से लथपथ थे सारे  फिर भी वो लड़ते रहे
अपने प्राणो को सुमन सा भेंट  वो करते रहे
मलिन न पड़ जाये वस्त्र माँ भारती के इसलिए
अपने खू से माँ का वो आँचल सभी रंगते रहे

आखरी की दो पंक्तिया मेने उन पालो से चुराई है जब हमारा जवान  शहीद होने ही वाला होता है,उसकी आखरी साँसे चल रही है और वो मुस्कुराता है ,उसकी मुस्कराहट को मैने शब्द देने की कोशिश  की है--

जाते - जाते हर शहीद का मैने दिल था टटोला -2
हँसते  हुवे वो बोल रहा था मेरा रंग दे बसंती चोला

by --अमित कुमार गुप्ता



रविवार, 25 अक्तूबर 2015

ॐ गंग गणपताभ्यम (rap song)

ॐ शिवम्  शिवम्  गणपताभ्यम    ॐ शिवम्  शिवम्  गणपताभ्यम
well  begin is half done दुनिया का है slogan
किसी काम की नई शुरुवात और हम सब करते सुमिरन
है  कोई   work  उसमे आती     every   time    अर्चन
विघ्नविनाशक मंगल मूर्ति देते तब solution
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम  

गज का शीष वस्त्र पीताम्बर पंच मुखी परमेस्वर
tummy जिनकी very long  और मोदक जिनके प्रियतम
मूषक इनकी naughty  सवारी हर दम करतीं ऊधम
इसपर ही तो शिव गौरी के चक्कर किये ख़तम
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम  

अपने बाप्पा  ही  पहले पुजे खुसियो से झोली full  fill  करे
bappa हमको बातादो वो way जिसमे चलके मिलती है ray 

आँखों में अश्रु कि धारा  दिल में कोई भरम
हम पाप पुण्य में गोते लगाते दुनिया भर के शितम
हमें भी दो सद मार्गः महा प्रभु मनमय विघ्नेस्वरम
tell me tha way bappa whr is the ray
कृपा कि दृष्टि once look at to me और अर्चन सारी ख़तम
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम

अन्तवगत्वा  वो आई घडी प्रभू की दृष्टि हम पर पड़ी
//उनको देखा है कइयों झलक फिर भी मन में है बाकि ललक
उनको देखा है कइयों झलक wana once more look at thr
नजरो से उनकी नज़रे मिली छवि दिल में उतरती गई
मेरा कण -2  है पुलकित हुवा भक्ति में हूँ में डूबा हुआ
मेरा कण -2  है पुलकित हुवा i m  near 2 u deva
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम

किरपा की दृष्टी हम पर पड़ी शनि मंगल अमंगल नहीं
घरती पे स्वर्ग हमको मिले हमें मोक्ष्य की चिंता नहीं
तेरे चिंतन में डूबे है हम गोरीसुत  तुमको सबकुछ नमन
मन को पढ़ने वाले हो तुम मांगे भी तुमसे क्या दाता हम
ॐ शिवम्  शिवम् -2  गणपताभ्यम

By --Amit Kumar Gupta 

मंगलवार, 26 मई 2015

Rap Song "बस इन्नी सी "

आज आया फिर week end मेरा दिल बोतल का fan
D.J Night भी है आज मस्ती में झूमेंगे साथ
peg पे peg  लगेंगे यारा time है बस 9 से 12
इतने में सब खेल दिखा लो चक्कर- वक्कर सभी चला लो
लफड़ा हो कोई पीने से ,कोई पूछे कित्ती पी तेने
ऊँगली दिखा के peg बना के बस कह देने इन्नी सी -2
फिर पूछे की किन्नी पी ,बस इन्नी सी -2

बजते ही 12 pub shuter डाउन, मैने कहा owner से इस that गाओं
वो भी बोला देखिये सर हमें है फिकर मगर हमको ठुल्ले करे इधर उधर
मैने कहा owner से करो shuter up मै भी देखू ठुल्लो को कि  कितनी अकड़
owner बोला मुझसे की किन्नी पी  है सर
ऊँगली दिखा के peg बना के बस इन्नी सी -2

लौट रहा था संग यारो के कार में घुस के घर
ठुल्ले मिल गए रोक ली गाड़ी ,साइड जरा कर
बारी -2 उतर रहे थे मस्ती गई खिसक
जेब थी खाली सर भी भारी और भी थे कई डर
मुँह सूंघा एक पुलिस ने सबका कुछ न बोला पर
बारी मेरी, सूँघा उसने चढ़ गई बोतल भर
मस्ती में वो झूम रहा था पल पल मुझसे पूछ रहा था किन्नी पी है -2
ऊँगली दिखा के peg बना के में भी बोला बस इन्नी सी -2

by --Amit Kumar Gupta

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

Rap Song "Khushiyo ka Totka"

आज week end है मेरे भी कुछ friend है
कैने कि ना बात है पीने में सब trained है
plan कोई था नहीं कुछ ना कुछ तो करेंगे ही
मधुशाला shop पे हम सब तो मिलेंगे ही
beer ,whisky ,vodka खुशियो का ये टोटका
आज मिलके सारी रात टोटका करेंगे हम ,
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम  ॥
चार पैग मारते ही घूमे मेरा सर ,
हर प्यारी छोरी दिल में करती घर
मैने बोला दोस्त से देख तेरी भाभी
दोस्त बोला मेरे से कि कितनी चढ़ाली
मेने कहा दोस्त से लगता तेनु चढ़ गई
नई दिक्खे तेनु भाभी ,किन्नी सोनी लग रई
आज मिलके उसपे टोटका करेंगे हम
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम ॥
मैने कहा दोस्त से वो भी देखे इत्थे
साड्डे दिल की बाते करके आऊ  उससे
मैने जाके कर ली बात alone हूँ मै सारी रात
come come baby dance करले मेरे साथ
trust करले मुझपे touch भी ना करुगा मै
late होगी गर जो तू drop भी करुगा मै
मुझे लगा प्यार मै दोने ही गिरेंगे हम
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम ॥
उसने किया इशारा आया मोटा चर्बी वाला
is there any problem उसने वो फ़रमाया
लड़की बोली उससे i don 't know this boy
फिर भी मुझसे चिपके we don 't know कि why
बोला मुझसे bouncer जाइये sir उधर
don 't create problem u will be trouble
मैने कहा रोज़ देखू तेरे जैसे सांड
बोला तू ये कैसे तेरी क़ि  ओकाद
बाद उसके बोलू कैसे बोलने लायक बचे न थे
सारे bouncer कुत्ते बनके हम पर टूटे जो थे
दोस्त बोला मुझसे और करले  टोटका
अगली बार मेरे से तू पी लिये फिर  vodka ॥
पिट रहा था संग यारो के उसपे थी नज़र
 love u baby फिकर न करियो i will manage all trouble
साथ में छोरी की जो friend बोल रही थी उसको
really this guy loves u so much  मत पिटवाओ उनको
thanx मेरे bouncer भाई को जिसने हमको पीटा
cause of  him girls with me नाम है संगीता
अब जश्नो पे जश्न होगे सारी रात जगेंगे हम
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम ॥

By---Amit Kumar Gupta




शनिवार, 7 मार्च 2015

Ipsita

पहली दफा तुमसे मै जब मिला था ,
मालुम ना था मुझको तुम तो हो इच्छा ।
चहरे पे तेरे कुछ तो था जादू ,
और मै सहजता से तुम तक था पंहुचा  ॥

तुम भी निडर थी सरल भी तो तुम थी ,
चहरे पे सूरज का तेज लिए थी ।
दिखने में ओस् की बूंदे हो तुम तो ,
जो हमको हीरे से बढ़ कर लगी थी ॥

सच -सच कहूगा मै था डरा सा ,
मैने जब पूछा था नाम तुम्हारा ।
कैसे मै भूलू वो नाम बताना ,
तुमने ज्यो मुझको था मामू बनाया॥

मगर मै तो खुश था बातो से तेरी ,
तेरा हँसता चेहरा जो यादो में मेरी ।
यही मेरी चाहत और इच्छा भी मेरी ,
हसती रहो तुम जीवन भर यूँ  ही ॥

शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

Vaneet

बहुत ही सरल हो --- -- सहज भी तो हो आप
के चहरे  से होते ---- -- वया  सारे अंदाज़ 
चंचल सा मन  और ----चंचल किरण हो 
बच्चे की मासूम     -----सी एक किलक हो 

मुझे याद है  चंद  पल ----साथ  थे      जब 
यक़ीनन  ही बोली    -----बहुत कर्ण प्रिय  थी 
बाते  ह्रदय को        ------लगती थी प्यारी 
ज्यो  आसमा  ने  ------- बाहे  पसारी 

करता  हू  मै बात ------अंतर की अब तो 
जब भी मिला  मै ------हर दम ही  पाया 
चाहा के पुछू     -----    हर दम ही मै  ये 
कि कैसे  तपा के ---- कुंदन    बनाया 

रविवार, 20 अप्रैल 2014

अपकी बार मोदी सरकार

जिनकी बातो से इरादे आक लेते है सभी,
जिनके आने भर से बैरी रण छोड़ देते है सभी;
भारती के दर्द को जो महसूस करता है   सदा,
मोदी है वो लाल जिसपे भारती भी है फ़िदा |
छाती चौड़ी मन है उजला स्वेत जिसकी आत्मा,
चलता है जो सिंह सा और बोले तो है गर्जना;
सिंह तुम ऐसे ही गरजो भारतीय कामना,
और दिलो में खौफ भर दो दुश्मनो के तुम सदा |
दो दहाड़े इसतरह की चीर दे जो आसमा,
और फिर पंजे पटक दो फाड़ दे जो ये धरा;
उस धरा से पीक निकले फिर से उस संकल्प की,
विश्र्व गुरु बनके रहेगा थी सिकांगो में कही |
By--Amit Kumar Gupta

रविवार, 9 फ़रवरी 2014

बस तुम ही हो

यादो में तुम हो ,ख्वाबो में तुम हो ,
अल्मारी की सारी किताबो में तुम हो ,
सब्जी में नमक नहीं है ये भूला ,
कैसे कहू उसके स्वादों में तुम हो  |

चंदा में तुम हो सूरज में तुम हो ,
घनी काली रातो की बातो में तुम हो,
नदिया में तुम हो सागर में तुम हो ,
मेरे कंठ कि व्याकुल प्यासो में तुम हो |

माँ ने कहा था जरा उसको देखो ,
चूल्हे की  रोटी जरा सी समेटो ,
मै  भूला था सब क्योकि रोटी मै वो थी,
नज़रो का धोका और उसकी महक थी |

कैसे कहू सारी रोटी जली थी ,
और माँ के चिमटे से मार पड़ी थी,
मगर  मुझकॊ दर्द होना कहा था ,
उल्टा  हसी  मुझसे सध न रही थी |

चाय जो बनी थी चीनी कहा थी ,
पत्ती भी उसमे हा ना डली थी ,
मगर फिर भी उसमे उसकी महक थी,
और मुझको  वही चाय मीठी लगी थी |

बाजार से मैने फल जो ख़रीदे ,
कच्चे ही कच्चे जरा ना पके थे,
नजरिया ये औरो का था उन फलो पर,
मुझे तो वो डाली पके से लगे थे |

 क्यों ऐसा है  होता  लगता नहीं मन ,
क्यों  यादो से उसकी  हटता नहीं मन,
क्यों मुझको ना होती अब कोई टेंशन ,
यारो बताओ कुछ तो सलूशन |
 by ----Amit Kumar Gupta