तू प्यार का रस बरसा दे - मुझको उसमे नहला दे ;
तू प्यार का रस बरसा दे - मुझको उसमे नहला दे ।
स्वीकार मुझे तू कर ले - इकरार ये अब फरमा दे ;
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ।।
मै जिस पल था तुमसे आन मिला- गुस्से से तेरा रूप खिला ;
लाली मल दी थी फूलो ने - तेरा चहरा गुलशन सा दिखा ।
जो तुमको सुन्दर करता है - वो तेवर फिर बतला दे ;
वो रॊद्र रूप दिखला दे - तू प्यार का रस बरसा दे ।।
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ;
जी भर कर तुमको देखू मै - बिन पलकों को झपकाये ;
वक़्त से मेरी बिनती है -कि वो थोडा थम जाये ।
जिस जाम की मुझको चाहत है - वो नजरो से छलका दे ;
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ।।
इस रस को मै कबसे ढूढ़ रहा - पागल -2 सा घूम रहा ;
प्यार शब्द मेरे अंतर में -चाहत का पता मै पूछ रहा ।
तरस गये है ये नैना - बस एक झलक दिखलादे ;
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ।।
छिप -2 कर उसको देखा करता - मै सबकी नज़र बचा के ;
बेशक उसको मालुम होगा - कि हम केवल उसको चाहें ।
हे ब्रह्म अगर मै सच्चा हू - तो मन को उसके बतला दे ;
शिकवे गिले सब भूल भाल - वो प्यार का रस बरसा दे ।।
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे;
तू प्यार का रस बरसा दे - मुझको उसमे नहला दे ।।
ये गीत मेरे उन दोस्तों के लिए जो मुझे जानते है एक लेखक के रूप में,एक कवि के रूप में,एक साहित्यकार के रूप में, मेरी ऒर से उन सब को प्रणय दिवस की हार्दिक बधाई ।
by------Amit Kumar Gupta
तू प्यार का रस बरसा दे - मुझको उसमे नहला दे ।
स्वीकार मुझे तू कर ले - इकरार ये अब फरमा दे ;
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ।।
मै जिस पल था तुमसे आन मिला- गुस्से से तेरा रूप खिला ;
लाली मल दी थी फूलो ने - तेरा चहरा गुलशन सा दिखा ।
जो तुमको सुन्दर करता है - वो तेवर फिर बतला दे ;
वो रॊद्र रूप दिखला दे - तू प्यार का रस बरसा दे ।।
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ;
जी भर कर तुमको देखू मै - बिन पलकों को झपकाये ;
वक़्त से मेरी बिनती है -कि वो थोडा थम जाये ।
जिस जाम की मुझको चाहत है - वो नजरो से छलका दे ;
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ।।
इस रस को मै कबसे ढूढ़ रहा - पागल -2 सा घूम रहा ;
प्यार शब्द मेरे अंतर में -चाहत का पता मै पूछ रहा ।
तरस गये है ये नैना - बस एक झलक दिखलादे ;
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे ।।
छिप -2 कर उसको देखा करता - मै सबकी नज़र बचा के ;
बेशक उसको मालुम होगा - कि हम केवल उसको चाहें ।
हे ब्रह्म अगर मै सच्चा हू - तो मन को उसके बतला दे ;
शिकवे गिले सब भूल भाल - वो प्यार का रस बरसा दे ।।
तू प्यार का रस बरसा दे -तू प्यार का रस बरसा दे;
तू प्यार का रस बरसा दे - मुझको उसमे नहला दे ।।
ये गीत मेरे उन दोस्तों के लिए जो मुझे जानते है एक लेखक के रूप में,एक कवि के रूप में,एक साहित्यकार के रूप में, मेरी ऒर से उन सब को प्रणय दिवस की हार्दिक बधाई ।
by------Amit Kumar Gupta