मंगलवार, 26 मई 2015

Rap Song "बस इन्नी सी "

आज आया फिर week end मेरा दिल बोतल का fan
D.J Night भी है आज मस्ती में झूमेंगे साथ
peg पे peg  लगेंगे यारा time है बस 9 से 12
इतने में सब खेल दिखा लो चक्कर- वक्कर सभी चला लो
लफड़ा हो कोई पीने से ,कोई पूछे कित्ती पी तेने
ऊँगली दिखा के peg बना के बस कह देने इन्नी सी -2
फिर पूछे की किन्नी पी ,बस इन्नी सी -2

बजते ही 12 pub shuter डाउन, मैने कहा owner से इस that गाओं
वो भी बोला देखिये सर हमें है फिकर मगर हमको ठुल्ले करे इधर उधर
मैने कहा owner से करो shuter up मै भी देखू ठुल्लो को कि  कितनी अकड़
owner बोला मुझसे की किन्नी पी  है सर
ऊँगली दिखा के peg बना के बस इन्नी सी -2

लौट रहा था संग यारो के कार में घुस के घर
ठुल्ले मिल गए रोक ली गाड़ी ,साइड जरा कर
बारी -2 उतर रहे थे मस्ती गई खिसक
जेब थी खाली सर भी भारी और भी थे कई डर
मुँह सूंघा एक पुलिस ने सबका कुछ न बोला पर
बारी मेरी, सूँघा उसने चढ़ गई बोतल भर
मस्ती में वो झूम रहा था पल पल मुझसे पूछ रहा था किन्नी पी है -2
ऊँगली दिखा के peg बना के में भी बोला बस इन्नी सी -2

by --Amit Kumar Gupta

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

Rap Song "Khushiyo ka Totka"

आज week end है मेरे भी कुछ friend है
कैने कि ना बात है पीने में सब trained है
plan कोई था नहीं कुछ ना कुछ तो करेंगे ही
मधुशाला shop पे हम सब तो मिलेंगे ही
beer ,whisky ,vodka खुशियो का ये टोटका
आज मिलके सारी रात टोटका करेंगे हम ,
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम  ॥
चार पैग मारते ही घूमे मेरा सर ,
हर प्यारी छोरी दिल में करती घर
मैने बोला दोस्त से देख तेरी भाभी
दोस्त बोला मेरे से कि कितनी चढ़ाली
मेने कहा दोस्त से लगता तेनु चढ़ गई
नई दिक्खे तेनु भाभी ,किन्नी सोनी लग रई
आज मिलके उसपे टोटका करेंगे हम
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम ॥
मैने कहा दोस्त से वो भी देखे इत्थे
साड्डे दिल की बाते करके आऊ  उससे
मैने जाके कर ली बात alone हूँ मै सारी रात
come come baby dance करले मेरे साथ
trust करले मुझपे touch भी ना करुगा मै
late होगी गर जो तू drop भी करुगा मै
मुझे लगा प्यार मै दोने ही गिरेंगे हम
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम ॥
उसने किया इशारा आया मोटा चर्बी वाला
is there any problem उसने वो फ़रमाया
लड़की बोली उससे i don 't know this boy
फिर भी मुझसे चिपके we don 't know कि why
बोला मुझसे bouncer जाइये sir उधर
don 't create problem u will be trouble
मैने कहा रोज़ देखू तेरे जैसे सांड
बोला तू ये कैसे तेरी क़ि  ओकाद
बाद उसके बोलू कैसे बोलने लायक बचे न थे
सारे bouncer कुत्ते बनके हम पर टूटे जो थे
दोस्त बोला मुझसे और करले  टोटका
अगली बार मेरे से तू पी लिये फिर  vodka ॥
पिट रहा था संग यारो के उसपे थी नज़र
 love u baby फिकर न करियो i will manage all trouble
साथ में छोरी की जो friend बोल रही थी उसको
really this guy loves u so much  मत पिटवाओ उनको
thanx मेरे bouncer भाई को जिसने हमको पीटा
cause of  him girls with me नाम है संगीता
अब जश्नो पे जश्न होगे सारी रात जगेंगे हम
vodka पियेंगे हम -vodka पियेंगे हम ॥

By---Amit Kumar Gupta




शनिवार, 7 मार्च 2015

Ipsita

पहली दफा तुमसे मै जब मिला था ,
मालुम ना था मुझको तुम तो हो इच्छा ।
चहरे पे तेरे कुछ तो था जादू ,
और मै सहजता से तुम तक था पंहुचा  ॥

तुम भी निडर थी सरल भी तो तुम थी ,
चहरे पे सूरज का तेज लिए थी ।
दिखने में ओस् की बूंदे हो तुम तो ,
जो हमको हीरे से बढ़ कर लगी थी ॥

सच -सच कहूगा मै था डरा सा ,
मैने जब पूछा था नाम तुम्हारा ।
कैसे मै भूलू वो नाम बताना ,
तुमने ज्यो मुझको था मामू बनाया॥

मगर मै तो खुश था बातो से तेरी ,
तेरा हँसता चेहरा जो यादो में मेरी ।
यही मेरी चाहत और इच्छा भी मेरी ,
हसती रहो तुम जीवन भर यूँ  ही ॥

शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

Vaneet

बहुत ही सरल हो --- -- सहज भी तो हो आप
के चहरे  से होते ---- -- वया  सारे अंदाज़ 
चंचल सा मन  और ----चंचल किरण हो 
बच्चे की मासूम     -----सी एक किलक हो 

मुझे याद है  चंद  पल ----साथ  थे      जब 
यक़ीनन  ही बोली    -----बहुत कर्ण प्रिय  थी 
बाते  ह्रदय को        ------लगती थी प्यारी 
ज्यो  आसमा  ने  ------- बाहे  पसारी 

करता  हू  मै बात ------अंतर की अब तो 
जब भी मिला  मै ------हर दम ही  पाया 
चाहा के पुछू     -----    हर दम ही मै  ये 
कि कैसे  तपा के ---- कुंदन    बनाया 

रविवार, 20 अप्रैल 2014

अपकी बार मोदी सरकार

जिनकी बातो से इरादे आक लेते है सभी,
जिनके आने भर से बैरी रण छोड़ देते है सभी;
भारती के दर्द को जो महसूस करता है   सदा,
मोदी है वो लाल जिसपे भारती भी है फ़िदा |
छाती चौड़ी मन है उजला स्वेत जिसकी आत्मा,
चलता है जो सिंह सा और बोले तो है गर्जना;
सिंह तुम ऐसे ही गरजो भारतीय कामना,
और दिलो में खौफ भर दो दुश्मनो के तुम सदा |
दो दहाड़े इसतरह की चीर दे जो आसमा,
और फिर पंजे पटक दो फाड़ दे जो ये धरा;
उस धरा से पीक निकले फिर से उस संकल्प की,
विश्र्व गुरु बनके रहेगा थी सिकांगो में कही |
By--Amit Kumar Gupta

रविवार, 9 फ़रवरी 2014

बस तुम ही हो

यादो में तुम हो ,ख्वाबो में तुम हो ,
अल्मारी की सारी किताबो में तुम हो ,
सब्जी में नमक नहीं है ये भूला ,
कैसे कहू उसके स्वादों में तुम हो  |

चंदा में तुम हो सूरज में तुम हो ,
घनी काली रातो की बातो में तुम हो,
नदिया में तुम हो सागर में तुम हो ,
मेरे कंठ कि व्याकुल प्यासो में तुम हो |

माँ ने कहा था जरा उसको देखो ,
चूल्हे की  रोटी जरा सी समेटो ,
मै  भूला था सब क्योकि रोटी मै वो थी,
नज़रो का धोका और उसकी महक थी |

कैसे कहू सारी रोटी जली थी ,
और माँ के चिमटे से मार पड़ी थी,
मगर  मुझकॊ दर्द होना कहा था ,
उल्टा  हसी  मुझसे सध न रही थी |

चाय जो बनी थी चीनी कहा थी ,
पत्ती भी उसमे हा ना डली थी ,
मगर फिर भी उसमे उसकी महक थी,
और मुझको  वही चाय मीठी लगी थी |

बाजार से मैने फल जो ख़रीदे ,
कच्चे ही कच्चे जरा ना पके थे,
नजरिया ये औरो का था उन फलो पर,
मुझे तो वो डाली पके से लगे थे |

 क्यों ऐसा है  होता  लगता नहीं मन ,
क्यों  यादो से उसकी  हटता नहीं मन,
क्यों मुझको ना होती अब कोई टेंशन ,
यारो बताओ कुछ तो सलूशन |
 by ----Amit Kumar Gupta

बुधवार, 1 जनवरी 2014

इंकलाब

सिंहो कि जो धरती है  वहा  एक शैर आया है ,
हमारी भारती का एक चहेता पूत आया है |
तिरंगा शान से लहराता रहे यू ही हिमालय पर ,
कि देखो एक दीवाना इस हिमालय पर भी आया है ||

देश के गद्दारो  को जरा  देखो मेरे बंधू ,
के इनकी ठाठ ने इनको जमी से दूर कर डाला |
जिस मिटटी पर ये जन्मे आचल तले  खेले ,
उसी माँ को जख्मो का खजाना इनने दे डाला ||

मगर अब भारती के जख्मो को पढ़ने लगे है हम ,
देकर आहूति जख्म को भरने लगे है हम |
राजनीति करना तुम्हे अब हम सिखायेगे,
गर माँ जो मागे प्राण तो हॅस कर लुटाएंगे ||

हर युवा कि अब नसो में बह रहा है इंकलाब ,
और वो अब बढ़ रहा है उठ रहा है एक गुबार |
है कसम इस सर-जमि की राख कर देगे उन्हें,
लूटते  है देश को जो  खादी      को पहने हुवे ||

by--Amit Kumar Gupta

मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

Sourabh(fragrance)

हो  महक  तुम  जो हवा  में  ,  फैली  है सर्वत ही
सादगी  तेरी   है  मोहक      ,दिखती है  अंयर्त ही
जब से तुम सा दोस्त पाया ,कमी न लगती मुझे
आसमा  में  घूमता  हू        ,जमी न दिखती मुझे
गैरो  कि  नज़रे  तो  कहती,खास तुम दिखते नहीं
और नज़र  मेरी ये  कहती, आम तुम लगते नहीं
सच  कहू  तो  मैने  सीखा ,तुम से हर पल ये सदा
आँधी  में  डटते  है कैसे    ,जीतते    कैसे     जहाँ